आर्थिक जगत में सोना-चांदी और शेयर मार्केट की एकतरफा तेजी कुछ समझ के बाहर होती जा रही है। अप्रैल से जून पहली तिमाही लोकडाउन की भेंट चढ़ गया। लेकिन शेयर मार्केट चढ़ता जा रहा है। जिसका आम आदमी से कोई लेना-देना नहीं हो। आम आदमी अपनी रोजी-रोटी के साथ ही जीता है। सरकार ने राशन फ्री देकर बहुत अच्छा कार्य किया। रोज कमाकर रोज खाने वालों की हालात सबसे ज्यादा खराब हुई है। रोटी कपड़ा और मकान में रोटी ही ज्यादा जरूरी है। कपड़ा में टेक्सटाइल इण्डस्ट्रीज में कई मजदूर कार्य करते हø और रोजगार का बड़ा भाग टेक्सटाइल इण्डस्ट्रीज में है। शिक्षित और अशिक्षित भी इस इण्डस्ट्रीज से जुड़े हø। सादे और ओटो लूम दोनों ही चल रहे हø।
सूत बाजार सप्ताहभर में स्थिर सा रहा। पापलीन में 60x50 में भाव घटने से 28/30/34 काउन्ट में थोड़ी लेवाली कम हुई। बाकी कोई ज्यादा फरक नहीं आया। रोटो और पी.सी. दोनों रुके हुए है। सूत की आवक तो अच्छी है और अभी तक लेवाली भी अच्छी थी।
मालेगांव सूत
सूती धागा : सूती धागा बढ़ना तो रुक ही गया, अब अंदर पेठ रुपया-दो रुपया किलो सुस्त ही है। मेन 28/30/34 काउन्ट में लेवाली कमजोर हुई है। बाकी काउन्ट में कोई ज्यादा लेवाली नहीं है। सूत व्यवसायी महेद्र मोदी ने बताया कि एक्सपोर्ट 50% ही हो रहा है और मिलों में 25 से 30% उत्पादन कम हो रहा है। स्थानिय मार्केट में पापलीन में 60x50 घटने से एक बार लेवाली रुकी है। बुनकर भी कपड़ा आवक बेचकर, आवक ही सूत लेकर चला रहा है। बरसात-बाढ़ और कोरोना का प्रतिकूल असर तो दिखता ही है। अगर आनेवाले सप्ताह में मालेगांव में पावरलूम बंद रहे तो, सूत बाजार में भाव घट सकते हø।
रोटो और पी.सी.: जुलाई माह से रोटो का यार्न रुपया-आठ आना घट-बढ़ हुई है और पी.सी. में लगभग दो रुपया किलो की घटबढ़ रही। दलाल राजेश अग्रवाल ने बताया कि स्थानिय मार्केट में बिक्री का दबाव है। अब कपड़ा बढ़कर कुछ बिका है उसका असर लेवाली पर आ सकता है और भाव मिल साईड तो बढ़ाकर बोल रहे हø। उसका असर यहां भी होगा या नहीं एक दलाल ने बताया कि मालेगांव के चेयर हाउस फुल भरे हø। विवर हेड टू माउथ चल रहा है।
लेवाली के अभाव से सूत का भाव सुस्त
