हमारे संवाददाता
कानपुर । भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) के वैज्ञानिकों की 31 वर्ष की रिसर्च के बाद अरहर का नया हाइब्रिड बीज (आईपीएच 15-03 व आईपीएच-09-5) तैयार हो गया है।इसे किसानों के उपयोग के लिए केद्र सरकार ने अनुमति भी प्रदान कर दी है।आईआईपीआर का यह पहला अरहर का हाइब्रिड बीज है।यह बीज पूरी तरह रोगमुक्त है और इसका उत्पादन भी इसी कैटेगरी की सामान्य प्रजाजियों की अपेक्षा दोगुना है।हालांकि सामान्य अरहर की प्रजाति में 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है।वहीं इस हाइब्रिड प्रजाति की अरहर का उत्पादन 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यद्यपि वैज्ञानिकों की तरफ से कहा गया है कि 1989 में अरहर की हाइब्रिड किस्म तैयार करने की शुरुआत हुई थी। बहरहाल टेक्नोलॉजी नहीं होने से इसमें देरी होती गई।जिसको लेकर आईआईपीआर के निदेशक डॉ.एनपी सिंह ने कहा कि 31 वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद 2020 में अरहर का हाइब्रिड किस्म तैयार हो गया है।ऐसे में केद्र सराकर की अनुमति मिलने के बाद शीघ्र ही खेतों में इसकी फसल तैयार की जाएगी।वहीं हाईब्रिड अरहर का उत्पादन दोगुना है।120 से 150 दिनों में तैयारी होने वाली सभी प्रजाति की अरहर में उत्पादन सिर्फ 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है।वहीं इस हाइब्रिड किस्म में न्यूनतम उत्पादन 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।उन्होंने कहा कि अरहर की हाइब्रिड किस्म एक,दो नहीं बल्कि 50 से अधिक वैज्ञानिकों की मेहनत का परिणाम है।उन्होंने कहा कि हाइब्रिड किस्म के यह दोनों अरहर की किस्में किसानों के लिए लाभदायक है।इसको लेकर उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के समक्ष प्रस्ताव रखा है।उन्होंने शीघ्र ही उत्तर प्रदेश के सरकारी खेतों में इस हाइब्रिड किस्म के बीज तैािर करने का आश्वासन दिया है।