तिलहन खेती को बढ़ावा देने हेतु मिनी ऑयल मिशन
हमारे संवाददाता
नई दिल्ली । खाद्य तेलों की आयात निर्भरता घटाने के लिए केद्र सरकार के प्रयासों का असर दिखने लगा है।जिसके तहत इस वर्ष 21 अक्टूबर को समाप्त हुए खाद्य तेल वर्ष (नवम्बर 2019-अक्टूबर 2020) में खाद्य तेलों का आयात 13 प्रतिशत घटा है।वहीं पिछले छह वर्ष़ों में खाद्य तेलों के आयात का यह निचला स्तर है।इस अवधि में खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन में वृद्वि हुई। यद्यपि खाद्य तेलों के आयात में कमी की एक बड़ी वजह कोरोना संक्रमण के तहत बंद होटल,रेस्टोरेंट और कैफेटेरिया भी रहे हø। हालांकि चालू वित्त वर्ष 2020-21 के तहत भी खाद्य तेलों के आयात में कमी का अनुमान लगाया गया है।इसके अतिरिक्त पहले से चल रहे ऑयल मिशन के साथ ही एक मिनी ऑयल मिशन की शुरुआत की गई है जिसमें सरसों की खेती और पाम ऑयल के प्लांटेशन पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।इससे खाद्य तेलों के उत्पादन में पर्याप्त वृद्वि की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।इन सबके बीच आयात निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी।
दरअसल खाद्य तेल उद्योग के प्रमुख संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन की तरफ से जारी अनुमानों के तहत पिछले महीने समाप्त वर्ष में वनस्पति तेल आयात 13 प्रतिशत घटकर 1.31 करोड़ टन रह गया है।वहीं पिछले वर्ष यह आंकड़ा 1.49 करोड़ टन का था।ऐसे में एसोसिएशन की तरफ से कहा गया है कि कोरोना महामारी के चलते अप्रैल में होटल,रेस्ट्रोरेंट और कैफेटेरिया में खाद्य तेलों की मांग बुरी तरह से प्रभावित हुई थी।जिसके चलते खाद्य तेलों का आयात छह वर्षों के निचले स्तर पर रह अगया है।हालांकि एसोसिएशन की तरफ से कहा गया है कि जनवरी 2020 में रिफाइंड पामोलिन के आयात की प्रतिबंधित सूची में डाल देने से आयात प्रभावित हुआ है।जिसके बावजूद पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कच्चे माल तेल के आयात में मामूली वृद्वि हुई।हालांकि सोयाबीन तेल का आयात 31 टन से 33 लाख के बीच स्थिर रहा है।