सावधानी हटी दुर्घटना घटी' नहीं होना चाहिए
इस वर्ष 2020-21 में आर्थिक विकास दर (जीडीपी) -7.7 प्र. श. आने का अधिकृत अनुमान ऐसे समय घोषित हुआ है जब अर्थव्यवस्था कोविड-19 द्वारा गत वर्ष के मार्च के अंत में प्रहार से अपेक्षा से अधिक तेजी से बाहर आ रही है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की निरंतर बढ़ती गतिविधि को देखते हुए नेशनल स्टेटिस्टिक्स आफिस (एनएसओ) का यह अनुमान गलत होने के संयोग हø। उसके गलत होने का आनंद सरकार सहित सभी को होगा।
इस आशावाद के अनेक कारण हø। मार्च, '20 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 प्र. श. शुद्ध गिरावट के बाद दूसरी सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था का संकुचन घटकर 7.5 प्र. श. हुआ जो सभी की धारणा से बाहर का था। यह सुधार लॉकडाउन अंशत: हल्का होने के साथ बढ़ती आर्थिक प्रवृत्ति के कारण थे। अगस्त से शुरू हुई दशहरा, दीपावली की मांग ने कारखाना को जोर-शोर से कार्यरत किया था। अब त्योहार पूरा होने के बाद भी मांग बनी रहने की धारणा है। वित्त मंत्रालय ने विश्वास व्यक्त किया है कि अर्थव्यवस्था इस वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही (अक्टूबर, 2020 से मार्च, '21) के दौरान `वी' आकार का (न्यूनतम स्तर से तीव्र) सुधार दिखेगा।
कोविड-19 के वैक्सीनके प्रयोग सफलतापूर्वक चल रहे हø। लोगों में विश्वास बढ़ रहा है। यह विश्वास अर्थव्यवस्था की प्रगति को और गतिशील बनाएगा।
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या नियंत्रण में है और टीकाकरण शुरू होने जा रहा है। इससे कोरोना के खिलाफ सावधानी में शिथिलता नहीं आनी चाहिए। कोरोना का बदला हुआ स्वरूप यूरोप, अमेरिका में टूटा है। भारत में भी उसके थोड़े केस दर्ज हुए हø। यह नए स्वरूप का कोरोना आग की तरह फैसलता है। जिससे सावधानी में ढ़ीलाई का विनाशक परिणाम लोगों के आरोग्य और आर्थिक विकास पर आ सकता है।
वाहनों पर सावधानी हटी, दुर्घटना घटी' का जो नारा है उसे सभी को याद रखना चाहिए।