हमारे संवाददाता
भारत में हाजिर तेलो में कामकाज सीमित , मगर विदेशी चालो और अंतराष्ट्रिय परिस्थितियो से तेजी बनती जा रही है । । भारी उंचे भाव पर खाद्य तेलो मे उपभोक्ता मांग गिरती जा रही है । मात्र ग्यारह माह में खाद्य तेलो का भाव ``एक-और-एक-ग्यारह'' हो गया अर्थात भाव दूगने भाव के दरवाजे की ओर अग्रसर है । गत् वर्ष मध्य मार्च में इंदौर सोया रिफाईडं 785 से 790.रू.,था और वर्तमान भाव 1225 से 1240 प्लस जीएसटी , पाम तेल इंदौर पाम तेल भाव 780 रू.वर्तमान भाव 1115 से 1125 प्लस जीएसटी, कपास्या तेल 695 रू. वर्तमान भाव 1190 रू प्लस जीएसटी, मुंगफली तेल 1230 से 1250 रू.वर्तमान भाव 2500 रू प्लस जीएसटी , राजस्थान कच्चीघानी तेल 850 रू वर्तमान भाव 1335 रू प्लस जीएसटी । आखिर इतनी तेजी को क्या आम जनमानस पचा पाऐगा ? आम जनता के सामनें ही सवाल खडा है । भारत मे ंविन्नि प्रकार के खाद्य तेलो का उत्पादन भारतीय भूभाग -भोगौलिक अनुसार होता है तो क्या आयातित पाम तेल ही जनता की पूछति करता है या अन्य उत्पादनो में इसकी अधिक मांग है ? भारतीययों के स्वास्थ सर्वे पर नजर डाले तो केंसर का बढता ग्राफ एक चिता का विषय है । तो क्या विभिन्न प्रकार के आयतित स्त्रोत या जंक फुड और प्रासेस्ड फुड-ड्रींक तो बढते केंसर का कारण नही है ? बहरहाल पाम तेल की चीन एवं अन्य खपत वाले देशो की भारी मांग के चलते मलेशियन रिंगिट का उंचा जाना बताया जा रहा है । पिछले दस वर्षो में इस बार की रिगिंट सर्वकालीन उंचे रही है बताया रहा है । अंतराष्ट्रिय विश्लेषक थॉमस मिल्के के अनुसार वैश्विक पाम तेल की मांग अनुसार वर्ष 2021 में पाम तेल उत्पादन मे लगभग 4.5 मिललियन टन की वृद्धि संभव है । वही भारतीय प्रसिद्ध तेल विश्लेषक श्री दोराबजी मिस्त्री के अनुसार पाम तेल की बढती मांग से मलेशियन केएलसी 3700-3800 रिंगिट तक जा सकती है । इससे पाम तेल उत्पादन 4.4 मिलियन टन तक बढ सकता है । भारत मे पाम तेल का वर्तमान आयात 75.6 लॉख टन के मुकाबले 80 लॉख टन तक बढकर आ सकता है । गत् हप्ते मलेशियन केएलसी में तेजी जारी रही शुक्रवार को यह तेजी में 21 पाइंट उपर खुली । खाद्य तेलो की यह तेजी कहां जाकर रूकेगी छोटा व्यापार जगत इस बात पर चुप है । थोक मंडी व्यापारिक क्षैत्रो से मिली खबर अनुसार सोयाबीन का अंतर्राष्ट्रीय उत्पादन कमजोर बताया जा रहा होने और वैश्विक भारी सटटे् में सोयाबीन पर भी भविष्य में तेजी बन सकती है । गत् वर्ष मार्च में सोयाबीन का भाव 3600 रू था वर्तमान भाव 4650 रू है और प्लांटो की डिलीवरी गत् हप्ते 4550 स थ4650 रू तक की हुई बताते है । गत् हप्ते सीबॉट में सोयाबीन पर लगातार तेजी रही और भविष्य जनवरी -मार्च तक का हालाकि आगे कुछ मंदी मे रहेगा बताया जा रहा है । जबकि सोया आईल मे जनवरी-मार्च्र का भविष्य तेजी का है । उत्तरप्रदेश मे ंनई सरसो का सलोनी आगरा मंडी में आना श्रीगणेश हुआ बताया गया । भाव उंचे में 6901 रू पर खुले जनता के हवाले से पूर्व सप्रंग सरकार की कार्य प्रणाली और देश की धेर्यवान जनता का लाभ लेकर , आयात और पूर्ति के कारोबार से भारतीय जगत को महंगा बनाया दिया गया है । जनता की सोच है कि मनमोहन जी की नीति में बाजारवाद को उंचा रखकर उद्योगपति-व्यापारियो की आर्थिक सहायता से देश भी आथ्छािक उन्नति करेगा , मगर मंहगाई है कि बढती ही रही और जनता की आछथ्छाक स्थिति के साथ ही देश के हालात् बिगडते रहे । कीचन मसाले, डाय फूट्स,पोसेस्ड खाद्य तेल और खलियां, निर्यात-निर्यात और निर्यात से देश में ही आपर्ति को कठिन बनाया गया और वस्तुओं के भाव कई भारी प्रतिशत बढ गये थे । उनके अनुसार वर्तमान सरकार के सामने महंगाई का दर्पण नीचे लाना संभव नही था क्योंकि सरकार के सामने पूर्व सरकार की विरासत में कई प्रकार के झमेले खडे हुऐ थे जिनसे निपटने हेतु आछिक शक्ति की जरूरत थी उसी को ढोना आज सरकार की मजबूरी को बताया जा रहा है । इनमें सबसे अधिक निर्यात प्रतिशत कीचन सामेगियो का हुआ है जिस पर अधिक हो हल्ला देश में होता उसी से सप्रंग सरकार ने अधिक संबंध बनाया अर्थात ध्यान होकर भी नही दिया फिर भी महंगाइzछ कंटोल करने को कहती रही । वर्तमान सरकार को खाद्य तेलो के भारतीय उत्पादनो पर समीक्षा करनी चाहिये जिससे कि भाव पर नियंत्रण हो सके । । कितना खाद्य तेल आयात हो रहा है और कहां जा रहा है इसकी खैर-खबर सरकार को कडे रूप में रखना चाहिये । गत् हप्ते इंदौर मे खेरची तेल भाव सोया तेल 135 से 140 रू , मुंगफली तेल 160-175 रू का भाव था ।
खाद्यतेलों में तीव्र तेजी
