हमारे संवाददाता
नई दिल्ली । रिजर्व बøक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत कटौती करने का फैसला किया।इसके साथ ही अब रेपो रेट 6.50 प्रतिशत से घटकर 6.25 प्रतिशत रह गया।ऐसे में अब रिवर्स रेपो रेट प्रतिशत जबकि बøक रेट 6.50 प्रतिशत पर रह गया है।जिससे अब होम व ऑटो लोन पर ब्याज दर घटने की संभावना बढ गई है।जिससे आम उपभोक्ताओं को सस्ते ब्याज दर पर कर्ज उपलब्ध हो सकेगा।जिससे घरों व वाहनों की खरीदी बढेगी।जिससे स्वभाविक है कि देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।w
दरअसल आरबीआई के गवर्नर शशिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक 5 से 7 फरवरी 2019 तक नई दिल्ली हुई थी जो कि यह आरबीआई के गवर्नर बनने के बाद एमपीसी की पहली बैठक हुइढ थी।जिसको लेकर एमपीसी की तरफ से कहा गया है कि यह फैसला मध्यम अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांत (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई दर को 4 प्रतिशत यानि 2 प्रतिशत कम या अधिक तक रखने के लक्ष्य के मद्देनजर लिए गए हø।जिसके तहत खाद्य कीमतों में लगातार गिरावट के चलते खुदरा मुद्रास्फीति दिसम्बर 2018 में 2.9 प्रतिशत रही जो कि 18 महीने का निचला स्तर है।ऐसे में रेपो रेट घटने से बøकों को आरबीआई से सस्ती धनराशि प्राप्त हो सकेगी।जिससे बøक भी अब कम ब्याज दर पर लोन ऑफर कर पाएंगे। जिससे नया लोन सस्ता होगा जिससे लोन ले चुके आम लोगों को या तो मासिक किस्तों या दोबारा भुगतान अवधि में कटौती का फायदा मिल सकता है।उल्लेखनीय है कि रेपो रेट ब्याज की वह दर होती है जिस पर आरबीआई फंड मुहैया कराता है।ऐसे में अब बøकों की तरफ से अब होम व ऑटो लोन की दर घटाने की उम्मीद बढ गई है।जिससे आम उपभोक्ताओं को आगे सस्ते ब्याज दर पर कर्ज उपलब्धता बढेगा।जिससे स्वभाविक है कि घरों व वाहनों की खरीदी अपेक्षाकृत सुधरेगी जो कि देश की अर्थव्यवस्था को लेकर एकदम सकारात्मक रुख बनेगा।वहीं आरबीआई की नई मौद्रिक नीति की बैठक में और जो नीतिगत फैसले गए गए हø।जिसके तहत चालू वित्त वर्ष में मार्च तिमाही को लेकर मुख्य मुद्रास्फीति अनुमान को कम कर 2.8 प्रतिशत किया गया।वहीं अगले वित्त वर्ष की प्रथम छमाही में मुद्रास्फीति 3.2 से लेकर 3.4 प्रतिशत तथा तीसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है।अगले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्वि दर बढकर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है जो कि चालू वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल-सितम्बर के तहत जीडीपी वृद्वि दर 7.2 से 7.4 प्रतिशत तथा तीसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।वहीं कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों पर अस्पष्टता,ट्रेड टेंशन का वैश्विक वृद्वि संभावना पर असर होगा।केद्रीय बजट प्रस्तावों से खर्च योग्य आय बढेगी जिससे मांग में बढोतरी होगी।एक बार में थोक जमा परिभाषा को संशोधित किया गया।अब एक करोड़ रुपए के बजाय एक बार में 2 करोड़ रुपए या इससे अधिक की जमा इस श्रेणी में आएगी।बड़ी श्रेणियों की गैर बøकिंग वित्तीय कंपनियें (एनबीएफसी) में तालमेल को लेकर दिशानिर्देश जारी किया जाएगा।रुपए के मुल्य में स्थिरता सुनिश्चत करने को लेकर विदेशी रुपया बाजार को लेकर वर्कफोर्स गठित करने का प्रस्ताव किया है।कंपनी बॉन्ड बाजार में विदेशी फोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश पर पाबंदी हटी है।भुगतान को लेकर मंच उपलब्ध कराने की सेवा देने वाले तथा भुगतान संग्राहक को लेकर परिचर्चा पत्र लाया जाएगा।बिना गारंटी के कृषि कर्ज देने की सीमा एक लाख रुपए से बढाकर 1.60 लाख रुपए की गई।इससे छोटे एवं सीमांत किसानों को मदद मिलेगी।कृषि कर्ज की समीक्षा को लेकर कार्यकारी समूह का गठन किया गया है।अब मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 2-4 अप्रैल 2019 को होगी।
होम व ऑटो लोन पर ब्याज दर घटने की संभावना बढ़ी
