सशक्त यार्न डीलर एसोसिएशन की, मेम्बरशिप रु. एक लाख तक की
गणपत भंसाली
सूरत। सूरत सहित दक्षिण गुजरात मे सिंथेटिक यार्न का सालाना कारोबार तकरीबन 15 हजार करोड़ रुपयों से ज्यादा का है। जबकि 2 हजार करोड़ रुपये से अधिक यार्न व्यवसायियों व विवरों में बकाया रहते हैं। सूरत के वेडरोड, कड़ोदरा, पानेसर, कतारगांव, कामरेज, सचिन, अश्विन कुमार रोड़ आदि विस्तारों व दक्षिण गुजरात में विवरों की संख्या 25 हजार है।
वर्तमान के प्रतिस्पर्धा के दौर में विभिन्न एसोसिएशनों व संगठन प्रभावी ढंग से नियम-नियमावली लागू नहीं कर पाते। सूरत में विशाल कहे जाने वाले टेक्सटाइल्स मार्केट की प्रतिनिधि संस्था फोस्टा भी प्रभावी ढंग से नियम लागू नहीं कर पा रही है। अत: समांतर संगठनों का उदय होता जा रहा है। लेकिन संघे शक्ति कलयुगे... की तर्ज पर दृढ़ एकता का प्रतीक रूप बन कर उभरी है साउथ गुजरात यार्न डीलर एसोशिएशन। इस संगठन में फिलहाल 150 के लगभग पंजीकृत सदस्य है। संगठन से जुड़ने हेतु प्रारम्भिक दौर में आजीवन सदस्यता शुल्क 15 हजार था। फिर बढ़कर 51 हजार किया गया व अब 150 की संख्या के बाद इस संगठन से जुड़ने हेतु आजीवन 1 लाख रु. चुकाना होगा।
2011 में प्रारम्भ हुआ साउथ गुजरात यार्न डीलर एसोसिएशन यार्न डीलरों के लिए गजब की मजबूती का आधार बना है। शहर में कुल 250 यार्न डीलर है जिसमें से 150 इस संगठन से जुड़े हुए हैं। इस संगठन के सरंक्षक के रूप में श्री धीरूभाई शाह (फेयर डील) व अश्विन भाई पटेल (जिगिशा) का समावेश है। संस्थापक अध्यक्ष धीरूभाई शाह रहे व 2011 से 2016 की अवधि में ललित चांडक सचिव पद पर आसीन रहे। 2016 से 2018 तक के तीन कार्यकालों में चांडक अध्यक्ष व 2019 से उन्हें इस संगठन का ब्रांड एम्बेसडर मनोनीत किया गया। संगठन 4 अलग-अलग कमेटियां बनी हुई है, जिसमें फाइनेंशियल सिक्युरिटी, एडवाइजरी कमेटी, ग्रुप लीडर गवर्निंग बोर्ड बनाया गया है। संगठन में मेंटर (सरंक्षक) की भूमिका अहम है। ब्रांड एम्बेसडर, संगठन का अध्यक्ष व चेयरमेन कमेटी की भूमिका भी प्रभावी रहती है। पूर्व अध्यक्ष का गवर्निंग बॉडी में समावेश रहता है। 25 सदस्यों पर एक ग्रुप लीडर मनोनीत किया गया है।
यार्न डीलरों का यह संगठन कितना असरदार है इसका इस बिंदु से ही पता चल जाता है कि साउथ गुजरात यार्न डीलर एसोसिएशन के देश भर की 16 मुख्य टेक्सटाइल्स उत्पादक मण्डियों के अध्यक्षो के साथ निरन्तर समन्वय बना हुआ है। इन तमाम उत्पादन केंद्रों का एक वॉट्सऐप ग्रुप बना हुआ है, जिसमें टेक्सटाइल्स कारोबार व सरकारी नीति सम्बन्धी जानकारी आदान-प्रदान की जाती हैं। इस संगठन ने यार्न खरीददारों के लिए प्रभावी नियम बनाए गए हैं जो सभी पंजीकृत यार्न डीलर पाल रहे हैं। यार्न खरीदने वाली पार्टी का तय शुद्धा निश्चित अवधि में बकाया भुगतान नहीं आता है तो उसे चेतावनी दी जाती है। इसके बावजूद खरीददार बकाया नहीं चुकाता है तो उसका नाम फाइनेंशियल सिक्युरिटी कमेटी के पास जाता है, वह कमेटी खरीददार को बकाया चुकाने के एक औघ मौका देती है, उसके बावजूद भुगतान नहीं मिलने पर उस फर्म का नाम ब्लेक लिस्ट में डाल दिया जाता है। फिर उस खरीददार से कोई भी पंजीकृत यार्न डीलर किसी भी प्रकार का लेन देन तब तक नही करता जब तक वह पुराना बकाया नही चुका देता।
धीरूभाई शाह के अनुसार इस संगठन की मजबूती से बकाया भुगतान अलबत्ता समय पर आ रहा है व डूबत पर भी ब्रेक लगा है। यह संगठन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया यार्न डीलर एसोसिएशन (फायदा) से भी जुड़ा हुआ है। सभी यार्न डीलरों में जागरूकता पूर्वक एक प्लेटफार्म पर लाने में धीरूभाई शाह का बहुत बड़ा योगदान है। इस संगठन के ब्रांड एम्बेसडर ललित चांडक ने अखिल भारतीय स्तर पर देश के 6 बड़े टेक्सटाइल्स व वाणिज्यिक एसोसिएशन से जुड़ कर कार्य किया है व धीरूभाई शाह के मार्गदर्शन में ललित चांडक दक्षिण गुजरात चेम्बर ऑफ कॉमर्स की यार्न कमेटी में एडवाइजर के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। राजस्थान के निवासी चांडक ने एम बी ए व टेक्सटाइल्स में इंजीनियरिंग की है।