खेरची विक्रेताओं पर कोई नियंत्रण नहीं
हमारे संवाददाता
इंदौर । खेरची दाल-दलहनो के विक्रेताओं पर शासन-प्रशासन का कोई चेक और देख-रेख नही होने से बेतहाशा भाव लगाकर आम उपभोक्ता को सबसे ज्यादा वे लूट रहे है । गत् हप्ते खेरची दूकान पर एक उपभोक्ता की बहस व्यापारी के साथ देखी गई जिसमे व्यापारी काबली चना तृतीय श्रेणी का 125 रू क भाव पर बेच रहा था जिस पर बहस हो रही थी । उस दिन काबली चना अच्छे वाला थोक में 6500 रू थोक भाव पर था । अर्थात 40-45 प्रतिशत की अंधी कमाई वह कूट रहा था । खेरची का धंधा पाच वर्ष पूर्व तक 10 से 15 प्रतिशत तक पर होता था । सरकार की नीति और स्थानीय शासन की स-सुस्ती ने मिलकर आम उपभोक्ता की कमर तोड दी है । सरकार को zचाहिये कि हाजिर व्यापार के रेट पर कोई ठोस नीति बनाकर दैनंदिनी भाव की उपर-नीचे पर अंकुश रखे । खेरची व्यापारी उंचे और नीचे दोनो भाव भारी कमाई कूटता है । नीचे के भाव आने पर वह उंचे भाव की खरीद बताता है जबकि होता नही है और नीचे के भाव की खरीद पर यदि वायदा या हाजिर व्यापार भाव बढता है तो तुरंत बताता है कि आज भाव बढ गया ।
स्थानीय संयोंगितागंज मंडी में उंचे भाव पर दालो में मांग कमजोर बताई जाने लगी है इससे दाल मिलो की मांग कमजोर रहने से दलहनो में भाव उतरने लगे है । उपभोक्ता मांग का दालो में उपरी भाव पर बेहद अभाव बताया जा रहा है । खास कर मुंग दाल जो कि सबसे सस्ती हुआ करती थी वह आज थोक भाव में सबसे उपर 8100 -8200 रू बताई जा रही है । तुवॉर घटकर महाराष्ट्रा तुवॉर का भाव 6200 से 6300 रू और निमाडी का भाव 5500 से 5900 रू रहा गया है । कमोडिटी के कोई क्षैत्र दाल-दलहन,मसाला, में अंधी तेजी की चाले बन जाती हे जिस पर आकार्य होता हे कि जेसे देश में पैदावार बंद हो गई हो । दालो में मूंग दाल और मसालो में कालीमिर्च क्या सरकार को ये नाम याद है ? इनके भाव भारी उंचे चले गये थे । इंदौर मंडी मे नये मूंग का भाव 6400 रू जबकि पुराने मूंग का भाव 6500 से 7300 रू तक बताया गया है । खेरची भाव 80 से 90 रू प्रति किलो तक है । गत् हप्ते ,चना, मसूर , उडद मूंग में मांग अभाव रह । मसूर भाव 5300 रू और उडद का भाव 7200 से 7600 रू तक होना बताया गया है । हांलाकि दाल मिलो की मांग में कमी रहने से चने में गुरूवार को 50 रू की मंदी रही । इस वर्ष चने की बंपर पैदावार की अनुमान है । चना पिछले दिनो उंचे भाव से टूटा भी है । हांलाकि गत् हप्ते यह 5000 स थ5050 रू तक होना बताया जा रहा था । वही काबली चना डॉलर लगभग 250 से 300 रू तक टूट चुका था । काबली चना डॉलर में भारी आवकें 200 बोरियो की ओग्र निर्यात मांग नही होने से भाव में लगातार मंदी का टोन बना हुआ है । डॉलर भाव 6400 से 6800 रू तक होना बताए गये । पिछले दो वर्षौ के अधिक उत्पादन का फायदा सटटे् में उपर का घर देखा और इस वर्ष दलहनो में अच्छी कमाई कर हाथ धो गये तथा अब मांग अभाव का भारी टोटा होने से उंची कमाई का दायरा नही मिल रहा होने से परेशानी अनुभव कर रहे बताए जा रहे है । मांग अटकने से चने में उंचे भाव की आगे कमाई नजर नही आ रही होने से मंदी में बहुर्राष्टिय कंपनियो और बडे सटोरिओ द्वारा वर्तमान भाव पर भी मुनाफारूपी बिकवाली किया जाना माना जा रहा है ।