हमारे संवाददाता
मांगसे अतिरिक्त उत्पादन के चलते उत्पादित कपडे के दर कम हुए है। दुसरी ओर केंद्र शासनने कपास के हमीभाव में बढोतरी किए जानेसे कपास की दर बढनेसे सूत के दर में तेजी है। इस परस्पर विरोधी स्थिति के चलते देश का पावरलूम उद्योग दुगने संकट में फंसा हुआ है। लॉकडाउन शिथिल हो रहा है लेकिन देशभरके वस्त्रोद्योग उत्पादनो की बाजारपेठ अब भी सीधे तरीकेसे शुरू नही होनेसे वस्त्रोद्योग उद्योग अब भी चिंता में है।
कोरोना के संसर्गसे गए आठ-नौ माहसे पूरे दुनियाभरका उद्योग-व्यापार के साथ आम जनजीवन अस्ताव्यस्त हुआ। धीरे धीरे 22 मार्चसे पूरे देशमें लॉकडाउन लागू किया गया। जिससे वस्त्रोद्योग की साखली (चेन) में सूत और कपडा उत्पादन लगभग दो से तीन माहसे पूरी तरह बंद किया गया। जून के बाद उद्योग धीरे धीरे शुरू किए गए।
सूत और कपडे का उत्पादन शुरू हुआ। देशभरमें बाजारपेठ, मॉल और किरकोल बिक्री के दुकान अंशत: शुरू रहे। दुसरी ओर लोगोंमें डर का माहौल होने के साथ मंगल कार्यालय बंद शादी के लिए 50 लोगोंकी अनुमति होने के कारण शादी का सिझन और पर्यायसे कपडा बिक्रीपर बडा असर हुआ और अब भी उसी तरह की स्थिती है। बाजार में कपडे को मांग नही है। उत्पादित कपडा ग्राहकों के बजाए पडा रहा है। दुसरी ओर कपडा निर्यात भी प्रभावित होनेसे देश के अंदर कपडे का साठा बढने की स्थिती पैदा हुई है।
केंद्र और राज्य शासनने वस्त्रोद्योग साखली की मांग की ओर अनदेखी किए जानेसे अनदेखी किए जानेसे समस्या बढी। इसमें फिरसे और कई देश के अपने यहांपर कहीं राज्योंमें कोरोना की दुसरी लाट का प्रभाव बढ रहा है। फिरसे विमान बंद, रेल बंद, लॉकडाउन, कर्फ्यू जैसी खबरों के कारण वस्त्रोद्योग में फिरसे डर का और चिंता का माहौल बना हुआ है।
सूत की तेजी से पावरलूम उद्योग प्रभावित
