नए कृषि कानूनों के मसले पर
रमाकांत चौधरी
नई दिल्ली । नए कृषि कानूनों के मसले पर केद्र सरकार के मंत्रियों एवं किसान संगठनों के अग्रणी प्रतिनिधियों के बीच ग्यारहवें दौर की वार्ता भी विफल रही है।ऐसे में इस बैठक में केद्र सरकार के मंत्रियों ने किसानों से कहा कि दसवें दौर में नए कृषि कानूनों को डेढ वर्ष के लिए टालने का जो प्रस्ताव दिया था जिससे बेहतर और कुछ नहीं हो सकता है।हालांकि केद्र सरकार के मंत्रियों एवं किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की तरफ से अगले दौर की वार्ता को लेकर कोई तारीख निर्धारित नहीं की गई है।जिससे किसान आंदोलन को लेकर अब ऊहापोह की स्थिति बन चुकी है।
दरअसल नए कृषि कानूनों के मसले पर दसवें दौर की वार्ता में केद्र सरकार की तरफ से नए कृषि कानूनों को डेढ वर्ष तक टालने का प्रस्ताव दिया था और इस मुद्दों पर समय समय पर बातचीत करने को कहा गया था।
बहरहाल इस प्रस्ताव को अधिकांशत: किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने सिरे से खारिज कर दिया था।जिसको लेकर केद्र सरकार के मंत्रियों एवं किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच ग्यारहें दौर की वार्ता पुन: 22 जनवरी 2021 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित की गई थी।जिसमें केद्र सरकार के मंत्रियों एवं किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक विफल रही है।चूंकि किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि हम नए कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी से कम पर कुछ नहीं मानेंगे।वहीं केद्रीय कृषि मंत्री नरेद्र सिंह तोमर ने कहा कि केद्र सरकार बारंबार कह रही है नए कृषि कानूनों की हर पहलू पर वार्ता करने को लेकर हम तैयार हø और किसानों की तरफ से जो भी अहम सुझाव दिए जाएंगे जिसमें आवश्यक रुप से संशोधन किए जाएंगे।जिसके बावजूद किसान संगठनों के प्रतिनिधि अपनी हठ पर कायम हø और आगे भी किसान आंदोलन की राह पर चलने की ओर अग्रसर हø।जिसको लेकर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि नए कृषि कानूनों को जब तक निरस्त नहीं किया जाता है तब कि किसानों का यह आंदोलन जारी रहेगा और आगे आंदोलन की धार को और तेज किया जाएगा।
किसान-सरकार के बीच वार्ता की तारीख अनिर्णित
