नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल का भाव प्रतिदिन बढ़ने से ग्राहक उपभोग की वस्तु बनाने वाली कंपनियों का परिवहन बढ़ा है। माल भाड़ा में वृद्धि होने से उनका मुनाफा घटने की चिंता कंपनियों को है।
बिस्लेरी इंटरनेशनल के चीफ एक्जीक्यूटिव एंजेलो जार्ज ने कहा कि ट्रांसपोर्टर माल भाड़े में 10 से 15 प्र.श. वृद्धि के लिए बातचीत कर रहे हø। अल्पकाल के कांट्रेक्ट में माल भाड़ा में काफी घटबढ़ होती है। परिवहन खर्च बढ़ने के साथ उत्पादन खर्च में भी वृद्धि होती है।
वर्ष 2021 में इúधन का भाव 21 बार बढ़ा है। कुछ राज्यों में पेट्रोल का भाव 100 रु. के उपर गया है। गुजरात को-आपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर आर.एस. सोढ़ी ने कहा कि इúधन के भाव में वृद्धि का सीधा असर मुनाफे पर पड़ा है। अमूल के दूध, आइसक्रीम और बटर आदि के डिलीवरी दैनिक बड़े ट्रक के मार्फत होती है। दूध के बिक्री भाव में परिवहन खर्च 7 से 8 प्र.श. होता है।
ट्रांसपोर्ट और लाजिस्टिक कंपनियों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल के भाव में वृद्धि होने से बाध्य होकर माल भाड़ा बढ़ाना पड़ा है। आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की कोर कमिटी के चेयरमैन बाल मलकीत सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के बाद से ही मार्ग परिवहन क्षेत्र में लोड कैरी करने की क्षमता के बारे में अनिश्चितता है। कार्यकारी खर्च की तुलना में ट्रांसपोर्टर माल भाड़ा से प्रर्याप्त आय भी नहीं कर सकते। हमनें सरकार से अनुरोध किया है कि एक्साइट डय़ूटी में कमी की जाए अन्यथा हमें माल भाड़ा बढ़ाना पड़ेगा, जिससे अंत में कमोडिटी के भाव में वृद्धि होगी। पिछले छह महीने में हमारा कार्यकारी खर्च 15 प्र.श. बढ़ा है। इúधन के भाव में कमी करने के लिए कोई कदम न उठाया जाए, अथवा न्यूनतम माल भाड़ा निश्चित न किया जाए तो हमारे क्षेत्र को नॉन-परफार्मिंग एसेट की चुनौती का सामना करना पड़ेगा।